शब ए बरात का बयान![]() |
Shab e Barat |
शबे बरात की इतनी हक़ीक़त है कि इस महीने के पंद्रहवीं रात और पंद्रहवीं दिन इस महीने की बहुत बुजुर्गी और बरकत का है- हमारे पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) इस रात को जागने की और दिन में रोज़ा रखने की रोग़बत दिलाई है - और इस रात में हमारे पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मदीना के कब्रिस्तान में तशरीफ ले जा कर मुर्दों के लिए बख़शिश की दुआ मांगी है- यदि इस तारीख में मुर्दों को कुछ बख्श दिया करे, चाहे कुरान शरीफ पढ़ कर चाहे खाना खिला कर, चाहे नकदे पैसा किसी गरीब को दे कर के, चाहे वैसे ही दुआ बखशिश की कर दे, तो यह तरीका सुन्नत के मुवाफिक है - इस से ज़्यादा जितने बखेड़े लोग कर रहे हैं इस में हलवे की क़ैद लगा रखी है, और इस तरीका से फातिहा दिलाते हैं, और खूब पाबंदी से यह काम करते हैं, यह सब वाहियात हैं- जो शर्अ (इस्लामी कानून) में ज़रूरी ना हो उस को ज़रूरी समझना या हद से ज़्यादा पाबंद हो जाना बुरी बात है यही बिदअत है-
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और कुछ जाहिल लोग शबे बरात में आतिशबाजी करते हैं या शादी में अनार पटाखे या आतिशबाज़ी करने में कई गुनाह हैं। ’पहली माल (धन) बर्बाद जाता है- कुरआन शरीफ में माल के फुज़ूल उड़ाने वालों को शैतान के भाई कहा है। और एक आयत में यह कहा गया है कि माल फुज़ूल उड़ाने वालों को अल्लाह तआला नहीं चाहते, यानी वे उन से बेज़ार नाराज़ हैं - दूसरे हाथ पैर जलने का ख़तरा या घर में आग लगने का डर, और अपनी जीवन या माल दौलत को ख़तरे में डालना, खुद शर्अ (इस्लामी कानून) में बुरा है - तीसरे लिखे हुए कागज़ को आतिशबाजी के काम में लाते हैं, ख़ुद हुरूफ (शब्द) भी अदब की चीज़ हैं , इस तरह के कामों में लाना मना है, बल्कि कुछ ऐसे कागजों पर कुरान की आयतें या हदीसें या पैगंबरों के नाम लिखे हुए होते हैं - बतलाओ तो सही उनके साथ बेअदबी कितना बड़ा वबाल (गुनाह) है - आप सब अपने बच्चों को इन कामों के लिए कभी पैसा ना दें या कोई अपने तरफ से करें तो उन को मना करें। ये सब बहुत बड़ा गुनाह की बातें हैं?
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