ऐसी दुआ मत करना
![]() |
Islamic story |
एक मर्तबा का ज़िक्र है कि एक सहाबी बीमार हो गए और बिमारी की वजह से उन की हालत बहुत कमज़ोर हो गई- हुज़ूर नबी क्रीम (अलैहि अस्सलातु व अस्सलाम) उन सहाबी की बीमार पुरसी के लिए तशरीफ़ ले गए जब हुज़ूर सर्वर ए काइनात (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) इन बीमार सहाबी को देखा और उन पर अपनी खास नज़र इनायत फरमाई तो सहाबी को यूं महसूस हुआ जैसे उन में नए सिरे से जान पड़ गई हो और कहा- या रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)! इस बिमारी की वजह से मेरे मुक़द्दर जाग गए हैं कि आप सुबह के वक़्त मेरे पास तशरीफ़ लाए हैं जिस के बाइस मुझे सेहत और आराम हासिल हो गया है-
हुज़ूर नबी (अलैहि अस्सलातु व अस्सलाम) ने बीमार सहाबी को देख कर फ़रमाया कि मालूम होता है कि तूने कोई दुआ की है जिस की वजह से तुझ पर बिमारी का हमला हुआ है याद करो कि वह दुआ किया है जो तुम ने की हो- सहाबी ने कहा, मुझे याद नहीं आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) मेरे बातिन पर तवज्जा फरमाएं मुझ को फ़ौरन (तुरंत) याद आ जाएगा कि मैं ने किया दुआ की थी हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की बातनी (भीतरी) तवज्जह से आप के क्लब मुबारक से सहाबी के क्लब तक नूर पहुँचा जिस से सहाबी को भूली हुई दुआ याद आ गई और कहा, या रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)! मुझे याद आ गया है कि मैं ने किया दुआ की थी मैं अपने गुनाहों की वजह से परेशानी में मुब्तला था जब मुझे यह इल्म हुआ कि आखरत का अज़ाब इंतिहाई सख्त है तो मैं ने अल्लाह तआला से दुआ की कि ए अल्लाह! मुझे बजाए आखरत के दुनियां में अज़ाब में मुब्तला कर दे ताकि मुझे आखरत में अज़ाब न झीलन पड़े- चुनाँचि मुझ में इस किस्म की बिमारी पैदा हो गई कि मेरी जान तकलीफ की वजह से बेआराम हो गई-
![]() |
Islamic story |
हुज़ूर नबी करीम (अलैहिस सलातु व अस्सलाम) ने फरमाया, खबरदार आइंदा ऐसी दुआ कभी न करना, सहाबी ने कहा या रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)! इस बात से तौबा करता हूँ और आइंदा कभी भी अज़ाब भुगतने की दुआ न करूंगा इस पर आप ने फरमाया कि जब तू अल्लाह तआला के हुज़ूर दुआ करे तू इस तरह किया कि ए अल्लाह! कर हमारी मुश्किलें आसान कर दे हमें हमारे दुनियां के घर में भी भलाई अता फरमा, हमें हमारे आखरत के घर में भी भलाई अता फरमा-इस हिकायत (कहानी) से यह नतीजा (परिणाम) निकलता है कि इंसान को हर वक़्त अल्लाह तआला की रहमत का तलबगार रहना चाहए- और हमेशा अल्लाह तआला से दुनियां व आखरत की भलाई तलब करनी चाहए-
No comments:
Post a comment