गुलाम के साथ हुस्न ए सुलूक (अच्छा बर्ताओ)
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Mahmood gaznavi |
सुलतान महमूद (रह्मतुल्ललाहि अलैह) को मुखालिफीन (विरोधियों) बहुत बदनाम करते हैं__ कि उन्हों ने तलवार से इस्लाम फैलाया है- मगर तारीख (इतिहास) में इन का एक वाक़या लिखा है कि इस से उन की रहम दिली और शफ़क़त का अंदाजा हो जाएगा और यह कि गुलामों के साथ उन का किया बर्ताओ था-
एक बार सुलतान महमूद (रहमतुल्लाहि अलैह) ने हिंदुस्तान पर हमला किया और बहुत से हिन्दू __ जंग में क़ैद हुए जिन को अपने साथ ग़ज़नी ले गए इन में एक गुलाम बहुत होनहार व होशियार था- इस को आज़ाद कर के सुलतान ने हर किस्म के उलूम ए फुनून (विज्ञान और कला) की तालीम दी- जब वह तालीम से फारिग हुआ तो उस को हुकूमत के ओहदे (पद) दिए गए- यहां तक कि उस को एक बड़े मुल्क का सूबेदार बना दिया गया सूबा गौर की हैसियत से उस वक़्त वह थी जो आज कल के बड़े वाली ए रियासत की हैसियत होती है- जिस वक़्त सुलतान ने उस को तख़्त पर बिठाया और ताज सर पर रखा तो वह गुलाम रोने लगा- सुलतान ने फरमाया कि यह वक़्त खुशी का है या ग़म का_____ उस ने कहा जहां पनाह इस वक़्त मुझे अपने बचपन का एक वाक़या याद आ कर फिर अपनी यह क़द्र व मन्ज़िलत देख कर रोना आ गया ______ हुज़ूर जिस वक़्त मैं हिंदुस्तान में बच्चा था आप के जुमले (शब्द) सुन कर हिन्दू कांपते थे
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