शैतान का शीरा (रस) का किस्सा story.
शैतान ने कहा की मुझे मुफ्त में बदनाम कर रखा है मैं तो कुछ नहीं करता चलो मैं तुम्हें नमूना दिखलाऊँ- हलवाई के दूकान पर पहुंचे, शैतान ने एक ऊँगली भर शीरा (रस) दीवार पर लगा दिया इस शीरा पर मखियाँ आ बैठीं इन मखियों पर छिपकिली आ गई अचानक से दुकानदार की की बिल्ली आ गई वह छिपकिली पर दौड़ी एक खरीदार सवार के साथ कुत्ता था वह बिल्ली पर छपटा हलवाई ने गुस्से में आ कर एक पत्थर उस कुत्ते के मार दिया उस कुत्ते के मालिक यानी सवार को भी गुस्सा आ गया उस ने हलवाई के एक तलवार मार दी बाजार वालों ने जमा हो कर इस सवार को क़त्ल कर दिया फ़ौज में खबर हो गई उन्हों ने बाजार वालों का क़त्ल ए आम शुरू कर दिया, शैतान ने कहा देखा, इन्साफ से कहए मेरा क़ुसूर! मैं ने तो एक उंगली पर शीरा दीवार पर लगा दिया था और शीरा (रस) लगाना कोई जुर्म नहीं और कहानी में तो एक उंगली ही भर शीरा (रस) था जिस का तौल यहां तक खींचा-
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