क़ौम से झूट
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मगर एक चुंटी वहीं रहा और ढूंढने लगा जो शायद वही चोंटी थी, इस बीच इब्न कीम ने वह पर दोबारा उसी जगह राखह लिया जबकि इस चींटी को दोबारा वही पंख मिल गया तो वह एक बार फिर दौड़ कर अपने केम्प में चला गया और पहले के मुक़ाब्ले में ज्यादा देर के बाद पहले के मुक़ाब्ले में कुछ कम चींटियों को ले कर आया गोया ज्यादा तर ने इस की बात को यकीन नहीं किया- इस बार भी जब वह उन को ले कर इस जगह के क़रीब पहुंची तो अल्लामा ने वह पंख फिर उठा लिया और सब ने दोबारा काफी देर तक तलाश किया मगर न मिलने पर सब वापस चले गए और हस्बे साबिक़ (पूर्व में) एक ही चींटी वहां इस पंख को ढूंढती रही, इस दौरान अल्लामा ने एक बार फिर वही पंख उसी जगह राखह लिया तो वही चींटी ने इस को ढून्ढ लिया और अपने केम्प की तरफ एक बार फिर दौड़ कर गई मगर इस बार काफी देर के बाद सिर्फ सात चींटियों को ले कर आया तब इब्न कीम ने इस पंख को फिर उठा लिया और चूंटियों ने काफी देर तक पंख को ढूंडा और न मिलने पर गुस्से से उसी चुंटी पर हमला कर दिया और उस को टुकड़े टुकड़े कर के राखह दिया गोया वह झूट बोलने पर उससे नाराज़ हो गए थे तब इब्न कीम ने वह पंख इन चींटियों के बीच राखह रख दिया जैसे ही उन को पंख मिला सारे फिर इस मुर्दा चींटी के पास जमा हो गए गोया वह सब अफ़सुर्दा और शर्मिंदा थे कि उन्हों ने इस बेगुनाह को क़त्ल किया-
इब्न कीम कहता है कि यह सब देख कर मुझे बहुत अफ़सोस हुआ और मैं ने जा कर यह वाकिया अबुल अब्बास इब्न तीमयह को बताया- उसने कहा अल्लाह तुझे माफ़ करे ऐसा क्यों किया दोबारा ऐसा मत करें-
सुब्हानअल्लाह झूट से नफरत फितरत का हिस्सा है कीड़े मकोड़े भी झूट से नफरत करते हैं और क़ौम () से झूट बोलने पर सज़ाए मौत देते हैं!
क्या यह कीड़े मकोड़े हुक्मरानों (शासन करनेवालों) से अच्छे नहीं जो दिन रात क़ौम से झूट बोलते हैं क़ौम को धोका देते हैं!
इब्न क़ीम ने अपनी किताब"مفتاح دار السعادۃ" में इस वाक्य का ज़िक्र किया है---
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